जांजगीर चांपा/अकलतरा

जर्जर भवन में चल रहा स्कूल:- दो कमरों में पांच कक्षाएं – बच्चों की जान जोखिम में,,बच्चे पढ़ने को मजबूर

जांजगीर-चांपा जिला के नगर पंचायत शिवरीनारायण, वार्ड क्र 01 में स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय की हालत बदतर हो चुकी है छतों से सीमेंट की टुकड़े अचानक गिर पड़ते है, छत में लगा रोड भी दिख रहा है कि यहां छात्राओ का पढ़ाई कम, जान का जोखिम ज्यादा दिखता है स्कूल का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है, लेकिन जिला प्रशासन की नींद अब तक नहीं टूटी है।

आपको बता दे कि शिवरीनारायण के वार्ड क्र 01 में स्थित शासकीय प्राथमिक स्कूल में पहली से पांचवीं कक्षा तक कुल 5 कक्षाएं संचालित होती हैं, लेकिन पूरे स्कूल में सिर्फ दो कमरे हैं जो किसी तरह ठीक हैं, इन दो कमरों में सभी 05 कक्षाओं के छात्राए पढ़ने को मजबूर हैं, छात्राओं को न बैठने की पर्याप्त जगह है, न पढ़ने का माहौल,, बाकी कमरों की छतें टूट चुकी हैं, दीवार से छड़ स्पष्ट दिख रहा है जो कि कभी भी बड़ा घटना हो सकता है और बरसात के दिन में दीवार से पानी सीपेज होता है ऐसे में छात्राओं का पढ़ना मुश्किल हो गया है और अभी बारिश के दिनों में स्थिति और खतरनाक हो गई है,, वही वार्ड वासियों और अभिभावकों में आक्रोश, बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।

अभिभावकों का कहना है कि अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डरते हैं, हर दिन लगता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए,

स्कूल की प्रधान पाठक विद्या साहू ने बताया कि इस विषय में कई बार हम लोग शिक्षा विभाग और उच्च अधिकारियों से शिकायत कर चुके है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है,,न हीं हमारे इस स्कूल पर कोई अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे है,, शिक्षिक, शिक्षिकाओ का मांग हैं कि जल्द से जल्द नया भवन बनाया जाए या स्कूल को किसी सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए जिससे छात्र छात्राओं को बेहतर शिक्षा हम दे सके।

कलेक्टर जन्मेजय मोहबें ने अधिकारियों को समय सीमा की बैठक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में दौरा कर जर्जर स्कूल भवनों को चिन्हांकित कर मरमत करने के निर्देश दिए है। मगर धरातल पर अधिकारी नहीं पहुंच रहे है जिससे स्कूलों की स्थिति कलेक्टर के पास नहीं पहुंच रही है।

वर्जन,,जब हमने शिक्षा विभाग के DEO अश्वनी कुमार भरद्वाज से जर्जर स्कूल की मरम्मत को लेकर फोन के माध्यम से उनका पक्ष लेना चाहा तो उनके द्वारा फोन का जवाब नहीं दिया गया है। इससे साफ जाहिर होता है कि अधिकारियों को स्कूल के छात्र छात्राओं की सेहत और पढ़ाई से कोई मतलब नहीं है।

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