छत्तीसगढ़

महान छत्तीसगढ़ी पारिवारिक फिल्म दूल्हा राजा को मुख्यमंत्री ने देखा।

रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा

रायपुर–महान छत्तीसगढ़ी पारिवारिक फिल्म दूल्हा राजा को छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव स्वयं जाकर देखा की फिल्म में क्या खूबी है इस चीज को देखते हुए फिल्म के प्रति अपनी उद्बोधन में यह कहा कि।

दहेज जैसे प्रथा को इस फिल्म में दिखाया गया है वह एकदम सही घटना है जिसको फिल्म मेकर के द्वारा चित्रण कर दिखाया गया है एवं आजकल के फिल्मों में अधिकतर अश्लीलता का बोलबाला है ऐसे में छत्तीसगढ़ी फिल्म दुल्हे राजा अंधेरे में प्रकाश की तरह है क्योंकि इस फिल्म में अश्लीलता शब्द नहीं है एवं अश्लीलता सीन नहीं है उन्होंने यह भी कहा कि मैं निर्माता निर्देशक को साफ सुथरी फिल्म बनाई है जो समाज को अच्छी दिशा देती है दिशाहीन फिल्म समाज को बिगड़ने का काम करती है फिल्म दूल्हा राजा समाज को सही दिशा देने का काम करते हुए फिल्मों का निर्माण हुआ है इसके लिए मैं निर्माता निर्देशक को बधाई देता हूं उपमुख्यमंत्री ने कहा।

राज वर्मा की जुबानी।
राज वर्मा ने कहा कि इस फिल्म के बारे से बताया कि लंबे समय के बाद एक विशुद्ध पारिवारिक फिल्म आई है जो की सामाजिक गतिविधियों को देखते हुए विशेष तौर से दहेज प्रथा जैसी वाली बुराइयों को दूर करने के लिए इस फिल्म का निर्माण किया गया है वैसे तो हिंदी फिल्म में दूल्हे राजा गोविंदा और रवीना टंडन की फिल्म बनाई गई थी वह भी दहेज प्रथा से संबंधित फिल्म थी जिसमें कादर खान को पैसे वाला होता है जिसे गोविंद पल भर में खत्म करते हुए प्रेम पर आधारित फिल्म अंकन किया गया था यह हमारे समाज के लिए अच्छी फिल्म है।

इस फिल्म को देखने के दौरान फिल्म की अभिनेत्री काजल सोनबेर मनमोहन सिंह ठाकुर फिल्म के निर्माता एवं हीरो राज वर्मा सीजी फिल्म के डायरेक्टर शेखर चौहान डिस्ट्रीब्यूटर राकेश मिश्रा और लकी रंगशाही सेम टी फिल्मी दुनिया से जुड़े कई लोग मौजूद थे जब उपमुख्यमंत्री ने फिल्म को देखा।

हमारे संवाददाता का कहना यह है कि जब हमारे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने देखा इस फिल्म को तो छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को छत्तीसगढ़ी भाषा की फिल्म बनाने की विशेष रुचि बढ़ाने लग गई है इसलिए की अधिकांश मंत्री विधायक सांसद हिंदी फिल्म ज्यादा देखते हैं मगर हमारे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ही छत्तीसगढ़ी भाषा की फिल्म देखने के लिए फिल्म दूल्हा राजा को देखा तो काफी अच्छा लगा यह हमारे समाज के लिए अच्छी कार्य है विशेष तौर से दहेज प्रथा जैसी फिल्म को चित्रण नहीं किया है प्रेम प्रसंग की मामलों पर इस फिल्म को बनाया गया है वह अतिशयोक्ति अलंकार है इसलिए की गुणगान करने के लिए बैठना है तो लंबी चौड़ी कहानी बन जाती है।

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