
*दीपावली पर गौरी -गौरा पूजा धूम धाम से मनाया गया*
कसडोल लवन से ताराचंद कठोत्रे की रिपोर्ट
लवन — दीपावली पर गौरी गौरा उत्सव का एक अलग महत्व है। दीपावली और लक्ष्मी पूजा के बाद मनाया जाता है। भगवान शिव पार्वती की पूजा-अर्चना और उनके विवाह की रस्म निभाई जाती है। भक्त बड़ी संख्या में धूमधाम से खुद बाराती बनकर माता पार्वती और शिव जी के विवाह उत्सव में शामिल होते है । नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी गौरी-गौरा का पर्व धूमधाम से मनाया गया ।
इस पर्व की शुरुआत धनतेरस से होता है । तीन दिनों तक चलने वाले इस पर्व के बाद बुधवार को गौरा-गौरी की विसर्जन यात्रा निकाली गई। इस दौरान महिलाएं, बच्चे सब उनकी धुन और मगन में झूमते हुए निकले। तीन दिनों तक चलने वाले शिव-पार्वती के विवाह की रस्म निभाई गई और श्रद्धा पूर्वक पूजन किया गया। दीपावली के अगले दिन गौरी-गौरि विसर्जन यात्रा निकाली जाती है और तालाब में विसर्जन होता है, लेकिन इस बार सूर्य ग्रहण होने के कारण यह रस्म एक दिन बाद निभाई गई। गौरी – गौरा पूजा के दौरान लोग साटे मारते एवं खाते है ।लवन नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी गौरी-गौरा विसर्जन कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया। छत्तीसगढ़ में गौरी गौरा उत्सव का एक अलग महत्व है। प्रत्येक वर्ष दीपावली और लक्ष्मी पूजा के बाद मनाया जाता है। विशेष तौर पर भगवान शिव पार्वती की पूजा-अर्चना और उनके विवाह की रस्म निभाई जाती है। भक्त बड़ी संख्या में धूमधाम से खुद बाराती बनकर माता पार्वती और शिव जी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं। फिर रात भर भजन-कीर्तन व गीत पारंपरिक रूप से गाते हुए शिव पार्वती का विवाह संपन्न किया जाता है ।