भाटापारा

तोड़िए मौन, सुधारिए व्यवस्था…

बलौदा बाजार भाटापारा से मो शमीम खान

प्रांगण हो या सड़क, बढ़ रही किसानों की परेशानी

भाटापारा:- प्रांगण हो या सड़क। किसानों की परेशानी बदस्तूर बनी हुई है। दूर की जा सकती है यह परेशानी लेकिन जिन्हें दूर करना है, उन्होंने जैसा मौन साध रखा है, उससे स्थिति में किसी भी दिन बदलाव आ सकता है। समय है अव्यवस्था को दूर करने के लिए।

सीजन के दिनों में कृषि उपज मंडी की कार्यशैली जैसी बनी हुई है, उससे कई तरह की समस्याएं जन्म ले रहीं हैं। समय पर डिस्पैच और समय पर किसानों के वाहनों को प्रवेश। इसके बाद के काम में यदि पारदर्शिता लाई जाए तो आधी से ज्यादा परेशानी दूर हो सकती है। लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में सीधी खरीदी जैसी व्यवस्था देखने में आने लगी है।

खत्म करें इसे

प्रांगण में श्रम शक्ति बढ़ाने के प्रयास करने होंगे। इसे न केवल गंभीरता से लेना होगा बल्कि प्रयास होता हुआ नजर भी आना चाहिए क्योंकि सुचारू कार्य संपादन के लिए यह बेहद अहम है। सभी पक्षों से राय मशविरा से यह काम हो, तो परिणाम निश्चित ही सकारात्मक रूप में नजर आएगा। उतराई, कटाई और भराई के बाद डिस्पैच के काम में कसावट लानी होगी ताकि बाहर खड़ी वाहनों का प्रवेश आसान हो सके।

यहां सख्ती जरूरी

प्रांगण की बदहाल हो चली व्यवस्था की वजह से, हो रही सीधी खरीदी पर रोक के लिए मंडी निरीक्षकों को औद्योगिक क्षेत्र पर निगरानी के निर्देश देने होंगे। यह इसलिए ताकि मंडी पर से उठता किसानों का भरोसा बना रहे और आवक बनी रहे। पकड़ में आने पर संबंधित इकाइयों के लिए दंड के प्रावधान हैं जिन्हें लागू करवाना होगा और किसानों को समझाने के प्रयास करने होंगे। किया जा सकता है यह काम, यदि इच्छा शक्ति हो तो।

बेहद जरूरी यह सहयोग

मंडी अभिकर्ता। सभी काम के संचालन की महत्वपूर्ण कड़ी। मिलर्स, जिनके बगैर अधूरी है मंडी। श्रम, नियमित कार्य संचालन की इस कड़ी के बगैर व्यवस्थित मंडी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इन सभी को मिलाकर देखिए। एक भी कड़ी बिखरने ना पाए। इसके प्रयास मंडी प्रशासन को करना होगा। मतलब एकदम साफ है कि किसी भी समस्या का हल, यही सब मिलकर निकाल सकते हैं। क्या मंडी प्रशासन ऐसा प्रयास करेगा ?

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