छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में कॉन्स्टेंट फिल्मों का चित्रण हो रहा है। इस साल जनवरी से लेकर अभी तक सिनेमाघर में कोई ना कोई छत्तीसगढ़ी फिल्म प्रदर्शित हो ही रही है। इसी बीच आ रही है फिल्म आशिक छत्तीसगढ़िया

राकेश कुमार साहू

छत्तीसगढ़ में कॉन्स्टेंट फिल्मों का चित्रण हो रहा है। इस साल जनवरी से लेकर अभी तक सिनेमाघर में कोई ना कोई छत्तीसगढ़ी फिल्म प्रदर्शित हो ही रही है। इसी कड़ी में एक और छत्तीसगढ़ी फिल्म बियरर तैयार है जिसका नाम है आशिक छत्तीसगढ़िया “लहरी बाबू” इस फिल्म के मुख्य अभिनेता हैं तेजपाल लहरी और अभिनेत्रियों में धनलक्ष्मी जुमनानी के साथ अहाना फ्रांसिस हैं। बता दें कि इस फिल्म के निर्देशक नितेश लहरी का निर्देशन मोर बाई हाई-फाई द्वारा किया गया है, जो अभी भी सिनेमाघर में चित्रित हो रही है।

फिल्म आशिक छत्तीसगढ़िया “लहरी बाबू” के निर्देशक अमन पिक्चर्स के अलक राय ने जानकारी दी कि यह फिल्म सितंबर माह में रिलीज होने की योजना है। फिल्म के नायक तेजपाल लहरी ने बताया कि हमारी फिल्म में जातिगत सामाजिक कुरीतियों को एकजुट करने का प्रयास किया गया है। इसमें रणवीर को स्वर से सीखना है जाने-माने गायकों में सुनील सोनी, छाया चंद्राकर और कशिश चंद्राकर शामिल हैं। सुमधुर को संगीत से रचा गया संगीतकार अमित प्रधान ने। फिल्म के अन्य कलाकारों में डॉ. अजय सहाय, स्व. पुष्पांजलि शर्मा, बलराज पाठक, मुकेश तिवारी और लेटरल टेसू डोंगरे ने भी भूमिका निभाई। फिल्म के निर्माता रामनारायण लहरी और तेजपाल लहरी हैं।

← फिल्म के हीरो तेजपाल का कहना यह है कि जिस तरह से समाज में जातिगत समीकरण से विकास नहीं हो पता अर्थात यह है कि जाति पाति के नाम से लड़ाई झगड़ा होता है उसको इस फिल्म में दर्शाया गया है कि कैसे सभी जाति वर्ग के लोग एकरूपता के साथ मिलकर समाज एवं देश एवं प्रदेश को आगे बढ़ने का मिलजुल कर कार्य करते हैं उसी को इस फिल्म में चित्रण किया गया है यह फिल्म बहुत ही जल्द देखने को मिलेगा।

फिल्म की हीरोइन धनलक्ष्मी का कहना यह है कि छत्तीसगढ़ राज्य में एक से बढ़कर एक फिल्म बनती जा रही है और प्रदर्शित होती जा रही है मगर यह एक ऐसी फिल्म है जिसमें की जाति प्रथा को खत्म करते हुए कैसे समाज प्रदेश देश को जाति प्रथा से हटाकर एकता के सूत्र में बांधा गया है जो कि दर्शकों को काफी पसंद आएगा यह फिल्म।

हमारे ब्यूरो चीफ राकेश कुमार साहू का कहना यह है कि यह एक अच्छी फिल्म है जो की जाति प्रथा को खत्म करते हुए एक जूटता का था परिचय को दर्शाया गया है।

वैसे कहा जाए तो दिन प्रतिदिन छत्तीसगढ़ी फिल्मों का एक नई मिसाल कायम होने वाली है जो की फिल्मों के माध्यम से ऐसे गंभीर से गंभीर समस्या को निदान किया जा सकता है इस तरह से इस फिल्म को चित्रण किया गया है।

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