भाटापारा

*आखिर कब मिलेगी भाटापारा शहर को धूल और दुर्गन्ध से आजादी*

ब्यूरो रिपोर्ट शिखर एक्सप्रेस न्यूज़

शासकीय स्कूल के बगल में फेंका जा रहा मृत मवेशियों को।

भाटापा:-भाटापारा शहर, छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी नगरपालिका है। पर आज तक नगरपालिका की कार्यप्रणाली आम जनता को समझ नहीं आई। शहर में जिस गली से गुजरें, कचरे एवं गंदगी का आलम नजर आएगा, आखिर कैसे शहर को स्वच्छता अभियान में श्रेष्ठ कार्य का तमगा मिला? जनमानस स्तब्ध है। क्योंकि ऐसा कोई वार्ड या सड़क नहीं नजर नहीं आता जो साफ सुथरा हो।

नाका नंबर एक से तहसील चौक तक या मंडी रोड जा कर तो देखिए।

लिंक रोड, मंडी रोड हो या शहर के किसी भी वार्ड या गली से जब आप गुजरेंगे तो धूल का गुबार तथा कचरों का गुलदस्ता आपके स्वागत में पहले ही नजर आ जाएगा, करोड़ों की लागत से बनने वाले गौरव पथ एवं बाईपास सड़क आखिर क्यों इस धूल के गुबार को खत्म नहीं कर पा रहें है? जवाब मिलेगा जिम्मेदार गहरी नींद में हैं। रखरखाव नहीं किया जाता? ऐसा नहीं है कि रखरखाव के लिए राशि नहीं मिलती है, और खर्च भी हो रहे हैं पर धरातल पर इसका असर नजर नही आता।

मृत मवेशियों को शासकीय स्कूल एवं आबादी क्षेत्र में पिछले छः वर्षो से लावारिस फेंका जा रहा है।

आज से लगभग 5 वर्ष पूर्व 26 अक्टूबर दो हजार सत्रह को हाईवे चैनल समाचार पत्र ने प्रमुखता से इस समस्या को उठाया था कि इस तरह मृत मवेशियों को लावारिश फेंकने पर बीमारी तथा अन्य संक्रमण हो सकता है।
तब जेसीबी खराब है तथा अन्य समाज सेवी संस्था इसका निराकरण करते हैं एवं सदाबहार जवाब जल्द ही व्यवस्था कर दिया जाएगा यह कहकर जिम्मेदारों ने अपना पल्ला झाड़ लिया था। पर आज तक यह समस्या बरकरार है। आज भी मृत मवेशियों को सड़क के किनारे खुले में फेंक दिया जाता है आने जाने वाले लोग अपना रास्ता बदलते हैं या फिर मजबूरन नाक बंद कर आगे का सफर तय करते हैं। साथ ही थोक सब्जी मंडी भी पास हि है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि बगल में सिर्फ एक दीवार के अंतर में शासकीय स्कूल का संचालन होता है आखिर छात्र एवं उनको पढ़ाने वाले गुरुजन इस असहनीय बदबू को कैसे बर्दास्त करते हैं?

वर्जन:- मुख्य नगरपालिका अधिकारी
इस मामले पर बैठक हुई है इस पर अति शीघ्र कार्यवाही की जाएगी एवं नगर पालिका द्वारा चेतावनी बोर्ड लगाकर बाउंड्री वॉल की जाएगी

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