लवन

भागवत कथा में रूक्मिणी विवाह की झांकी ने मोहा मन

कसडोल/लवन से ताराचंद कठोत्रे की रिपोर्ट

भागवत कथा के छठवें दिन पहुंची विधायक शकुंतला

लवन। ग्राम कोरदा में कथा वाचक पंडित नील कमल ओझा व परायणकर्ता गैंदलाल तिवारी के सानिध्य में संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के छठवे दिन कथा वाचक पंडित ओझा ने भगवान श्रीकृष्ण व रूक्मिणी विवाह, कंस वध, कथा का वर्णन किया। कथा वाचक ने कहा कि जब रूक्मिणी विवाह योग्य हुई तो उनके पिता भीष्मक को उनके विवाह की चिन्ता हुई। लोग रूक्मिणी के पास आते तथा कृष्ण की प्रशंसा करते। रूक्मिणी ने निश्चय किया कि वह विवाह करेंगे तो श्रीकृष्ण से ही करेंगी। रूखमणी का भाई को यह बात मंजूर नहीं थी, क्योंकि वह श्रीकृष्ण से बैर रखता था। वह उनका विवाह शिशुपाल से कराना चाहता था।

कथा वाचक पंडित ओझा ने आगे कहा कि रूखमणी ने यह संदेश एक ब्राम्हण के माध्यम से द्वारका में भगवान कृष्ण को भेजा व उनसे विवाह की इच्छा जाहिर की। संदेश पाकर कृष्ण कुंडनीपुर की तरफ चल दिए। रूक्मिणी जैसे ही गिरिजा मंदिर पहुंची, कृष्ण ने उन्हें अपने रथ पर सवार कर लिया। यदुवंशियों ने उन्हें रोककर युद्ध किया। शिशुपाल पराजित होे गए। बाद में द्वारका जाकर कृष्ण ने रूक्मिणी से विवाह किया। कथा के दौरान मटका फोड़ व विवाह प्रसंग की झांकी प्रस्तुत की गई तो सभी श्रद्धालु अपने-अपने स्थान में खड़े होकर देखते ही रह गए। कथा के दौरान कंस वथा की कथा का भी वर्णन किया गया। कथा को श्रवण करने गांव के श्रोता सहित आसपास के श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे है। कथा के छठवे दिन क्षेत्रीय विधायक व संसदीय सचिव सुश्री शकुन्तला साहू पहंची। उन्होंने कथा वाचक पंडित नील कमल ओझा से आर्शिवाद प्राप्त किया। इस मौके पर शंकुतला ने कहा कि कथा सुनने से मन को शांति मिलती है। प्रत्येक गांव में कथा का आयोजन होना चाहिए। साथ में इसका श्रवण अपने जीवन में करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक कार्य समय-समय पर होते रहने चाहिए, इससे युवाओं और बच्चों को अपनी संस्कृति के बारे में पता चलता रहता है। युवाओं को भगवान श्रीकृष्ण से पे्ररणा लेनी चाहिए। उनके बताए मार्ग पर चलकर लोग राष्ट्र निर्माण का कार्य करें। भागवत कथा के छठवें दिन होने के कारण कथा सुनने वाले श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। कथा के मौके पर मृत्युजंय वर्मा, देवीलाल बार्वे, प्रताप डहरिया, रूपचंद्र मनहरे, कमल प्रजापति, जोगेन्द्र वर्मा, गनपत वर्मा, मोरध्वज वर्मा, दऊवा वर्मा, झाडूराम वर्मा, जवाहर लाल वर्मा, रामकुमार वर्मा, टेकारू वर्मा, प्यारेलाल वर्मा, जदून वर्मा, तेजू वर्मा, नुमेश वर्मा, रज्जू वर्मा, भेषराम वर्मा, गेंदराम वर्मा, भारत वर्मा, रोमलाल वर्मा, ताराचंद वर्मा, चतुरमुर्ति वर्मा, तोलेश वर्मा, राजेन्द्र वर्मा, चन्द्रमणी वर्मा, कमल वर्मा, रामप्रसाद वर्मा, जोगेन्द वर्मा, मुन्ना लाल वर्मा, लैनसिंह वर्मा, गैसकुमार वर्मा, दुखूराम वर्मा, खुशीलाल वर्मा, फागुलाल , गेंदलाल वर्मा सहित गांव की महिला श्रोता बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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