
*आम नहीं, खास की है हमारी पुलिस*
भाटापारा- संभालने की कोशिश नहीं। बढ़ रही आपराधिक घटनाएं। चाकूबाजी इसमें जैसी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है, वह कई सवाल उठा रहा है। सांठगांठ इतनी पक्की है कि शिकायतकर्ता नहीं, आरोपी के साथ खड़ी नजर आती है हमारी पुलिस।
बेलगाम हो चुकी यातायात व्यवस्था के बीच एक नई मुसीबत का सामना कर रहे हैं पीड़ित। यह किसी भी दिन गंभीर रूप ले सकता है। शिकायत किससे की जाए ? बड़ा सवाल इस समय किया जा रहा है क्योंकि पीड़ितों का साथ देने की बजाय अपराधी तत्व के साथ खड़ा नजर आ रहा है पुलिस महकमा।
नई भूमिका
तेज रफ्तार वाहन चालन। यह कई समस्या का वाहक है। बच कर रहिए ऐसी गतिविधियों से। शिकायत करने पुलिस थाना जाने पर संबंधित दूसरा पक्ष पहले से मौजूद मिलेगा। अपनी बात रखी, तो शत- प्रतिशत गारंटी है कि आपका पक्ष नहीं सुना जाएगा। यह शिकायतकर्ता के विरुद्ध ही एफ आई आर के रूप में देखा जा सकेगा।
पूरी छूट इसकी
संबंध बेहद मधुर हैं। छूट मिली हुई है तेज गति से वाहन चालन। छेड़खानी और छींटाकशी की। ‘एक के साथ एक फ्री’ की तर्ज पर मॉडिफाई साइलेंसर लगाने की छूट देती है हमारी पुलिस। रसूख रखते हैं, तो सड़क पर ही चार पहिया पार्क करने की भी छूट मिलेगी। रामलीला मैदान से स्टेशन रोड, जयस्तंभ चौक से मारवाड़ी कुआं होती हुई बस स्टैंड जाने वाली सड़क उदाहरण है।
आंखों के सामने
तीसरी आंख से बच नहीं सकेंगे। यह दावा किया गया था। ऐसी लगभग 70 आंखों के सामने सबसे ज्यादा अवांछित गतिविधियां हो रहीं हैं। कितने मामले बने ? जैसे सवाल के जवाब नहीं मिलेंगे। चालू हैं या नहीं ? यह कभी नहीं बताये जाते। व्यवस्था में सुधार की उम्मीद बेमानी है। यह इसलिए क्योंकि सिस्टम का साथ नहीं है।