भाटापारा

सुनते सभी की, करते अपने मन की…..

ऐसी है हमारी नगर पालिका

भाटापारा- आम हैं यह दृश्य लेकिन बारिश के दिनों में खास होते देखा जाएगा क्योंकि जगह-जगह जाम हैं नालियां। कब होगी सफाई ? जैसे सवालों के जवाब रटे-रटाए शब्दों में मिलेंगे, “करवा रहे हैं”।

आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है नगर पालिका में। खासकर शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों को फौरन हटाए जाने की जरूरत है क्योंकि इनकी सुस्ती ने क्लीन सिटी प्लान की धज्जियां उड़ा कर रख दीं हैं। रही बात जनप्रतिनिधियों की सजगता की, तो वह अविश्वास प्रस्ताव तक ही सीमित हैं। इसलिए सिरे से बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है।

सुनते हैं, करते नहीं

शिकायत सुनी जाएगी, लिखी भी जाएगी लेकिन काम की गारंटी नहीं मिलेगी। परिणाम है जगह-जगह नालियों का जाम होना और प्रदूषित पानी का सड़क पर फैलाव। रसूखदार हैं, तो शिकायत फौरन दूर की जाएगी। अन्यथा आमजन को केवल इंतजार ही करना होगा। नहीं तो खुद को यह काम करना होगा या करवाना होगा।

चिन्हांकित जगह पर ऐसे काम

नियमित सफाई वाले चिन्हांकित जगहों पर काम होता, नजर तो आता है लेकिन कैसे ? यह काम के बाद किनारे की नालियों में जा पहुंचा वेस्ट देखकर जाना जा सकता है। निगरानी या देखरेख कर रहे कर्मचारी ने, तो देख कर भी कुछ नहीं करने की ठान रखी है। इसलिए परेशानी चौतरफा फैल रही है। अफसर क्या कर रहे हैं ? पूछना मना है।

शहर भी कम नहीं

अव्यवस्था के लिए शहर भी समान रूप से जिम्मेदार है। वेस्ट मैनेजमेंट प्लान के तहत कूड़ा, डस्टबिन में डालना है लेकिन हम इसे नालियों और सड़क पर फेंक रहें हैं। भवन निर्माण सामग्री के लिए सुरक्षित ठिकाना है, सड़क। यह भी नालियां जाम कर रहीं हैं। भवन निर्माण करवा रहे भवन मालिक का तो अधिकार है, व्यवस्था को अव्यवस्था में बदलने का। कार्यवाही नहीं होगी क्योंकि सत्ता से निकटता जो रखते हैं।

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