
सड़क पर लेबर मार्केट, और खान-पान के ठेले
प्वाइंटर- प्रशासन की सुस्ती से आवाजाही हो रही बाधित

भाटापारा- श्रम बाजार को बहुत जल्द, दूसरी जगह दी जाएगी। महीनों बीते प्रशासन के इस आश्वासन को, लेकिन जस-की-तस हैं स्थितियां। खानापूर्ति ही करता है यातायात विभाग। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि सुबह के वक्त रेलवे स्टेशन के सामने का हिस्सा, पूरी तरह ऐसे ही मजदूरों के कब्जे में होता है। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में काम की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी तादाद में मजदूर शहर आते हैं। जमघट, रेलवे स्टेशन के उस हिस्से में लगता है जो मुख्य मार्ग का ही अहम किनारा है। यातायात इसलिए दो से तीन घंटे तक बाधित होता है क्योंकि सड़क पर ही सौदे होते हैं काम के लिए।
इसलिए परेशानी
नौकरी के लिए रायपुर-बिलासपुर आना और जाना। कारोबारी गतिविधियों की नियमित गति मिलती रहे, इसके लिए राजधानी से निरंतर संपर्क। सौदे के बाद सामान लेकर आने वाले भारी वाहन। यह सब कैसे संभव होता होगा ? यह देखने के लिए सुबह के वक्त स्टेशन पहुंचें। मार्ग के दोनों किनारे पैक होते हैं, तो काम के लिए तय होती मजदूरी, सड़क पर ही। यह स्थिति बेवजह यातायात जाम जैसा दृश्य पेश करती है।
किसकी अनुमति से
रेस्ट हाउस के सामने का मार्ग। यहां लगते हैं खान-पान की सामग्री बेचने वाले ठेले। मजदूर बाजार से चंद कदम की दूरी पर सड़क पर ही होने वाली यह गतिविधियां स्कूली बच्चों को परेशान कर रहीं हैं क्योंकि सड़क के किनारे लगाए जाते हैं यह ठेले। सवाल यह है कि किसने दी अनुमति ? क्यों नहीं नजर आते, यह दृश्य यातायात विभाग को ?
महज खानापूर्ति

आवाजाही बाधित होता देख, जब आपत्ति उठाई गई तो बहुत जल्द अन्यत्र जगह पर श्रम बाजार लगाने का आश्वासन प्रशासन ने दिया था। महीनों बीते लेकिन स्थिति जस-की-तस है। महज खानापूर्ति के लिए ही हैं, यातायात विभाग के जवान। गश्त और पेट्रोलिंग यहीं से शुरू होती है लेकिन नजर नहीं आते यह दृश्य। यक्ष प्रश्न यह है कि कब तक यह होता हुआ देखा जाएगा ?