
आंध्र प्रदेश में बंधक बनाए गए CG के 8 नाबालिग समेत 43 मजदूरों को कराया गया मुक्त, सभी सकुशल पहुंचे घर, जानें पूरा मामला…..
भाटापारा से मो शमीम खान
शिखर एक्सप्रेस न्यूज़/बलौदाबाजार पुलिस अधीक्षक का कुशल नेतृत्व एवं सहृदयता एक बार फिर सामने आई जहां आंध्रप्रदेश मे बंधक मजदूरों की सूचना मिलने पर त्वरित सारे इंतजाम कर उन मजदूरों को सकुशल ईंटभट्ठे से सकुशल उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की और आज बंधक मजदूर परिवार सकुशल बलौदाबाजार जिले के राजा देवरी थाना क्षेत्र के ग्राम चांदनी पहुंच गया जिले के वनांचल क्षेत्र के अधिकांश ग्रामों से लोग ज्यादा पैसे कमाने के इरादे से ईट भट्ठा आदि में काम करने के लिए जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में जाते हैं. इस चक्कर में कई लोग लेबर दलालों/ठेकेदारों के चंगुल में फंसकर किसी ऐसे क्षेत्र में फंस जाते हैं जहां इन्हें मजदूरी मिलना तो दूर, इनके खाने-पीने के भी लाले पड़ जाते हैं. साथ ही साथ इस प्रकार के ईंट भट्ठा प्रबंधको द्वारा मजदूरों को बेतहाशा बंधवा मजदूर की तरह काम करवाया जाता है. खाने पीने के नाम पर बहुत ही परेशान किया जाता है और पारिश्रमिक भी नहीं दिया जाता. इसके अलावा अन्य लोगों से संपर्क साधने एवं मदद मांगने के लिए इन बंधक मजदूरों के पास किसी प्रकार का साधन नहीं रहता, जिसके कारण इन मजदूरों का जीना एक प्रकार से दुश्वार सा हो जाता हैकुछ ऐसी ही घटना ग्राम चांदन के रहने वाले 12 परिवारों के साथ घटी. इस परिवार में 8 नाबालिक बच्चों 35 वयस्क जिसमें महिला-पुरुष शामिल थे कुल 43 लोग गुंटुर, आंध्र प्रदेश के एक ईंट भट्ठा में बंधक बना लिए गए थे. यह लोग बहुत ही परेशान थे, उनके पास खाने पीने का कोई भी साधन उपलब्ध नहीं था. साथ ही ईंट भट्टा ठेकेदार द्वारा इन्हें बहुत परेशान भी किया जाता था. कई बार तो मारपीट भी की जाती थी।

मजदूरों ने सोशल मीडिया में वायरल किया था वीडियो
बंधक बनाए गए इन मजदूरों ने जैसे-तैसे एक वीडियो तैयार कर सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल किया गया. जिसके बाद यह वीडियो स्टेट हेल्थ रिसोर्स सेंटर (SHRC) और इंटर एजेंसी ग्रुप छ.ग. (IAG) के संपर्क में आया, जिन्होंने सोशल मीडिया ट्विटर के माध्यम से इन बंधक मजदूरों की विस्तृत जानकारी और वीडियो जिला बलौदाबाजार-भाटापारा पुलिस तक पहुंचाई. जिले के 43 लोगों के बंधक बने होने की सूचना प्राप्त होते ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार झा ने अपने संपर्क सूत्रों का इस्तेमाल करना प्रारंभ किया. उनके द्वारा सर्वप्रथम गुंटुर आंध्र प्रदेश से सभी मजदूरों के वापस छत्तीसगढ़ आने के माध्यम की व्यवस्था करवाना पहली प्राथमिकता बनाइसी बीच स्टेट हेल्थ रिसोर्स सेंटर (SHRC) और इंटर एजेंसी ग्रुप छ.ग. (IAG) एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा सभी बंधक मजदूरों को 4 जनवरी को ट्रेन के माध्यम से विशाखापट्टनम के लिए रवाना किया गया. इस दौरान इन मजदूरों के पास खाने-पीने का कोई भी सामान उपलब्ध नहीं था ना ही उनके पास इतने पैसे बचे थे कि ट्रेन में ही कुछ खाने पीने का सामान खरीद सके. जैसे-तैसे इन बंधक मजदूरों में शामिल नारायण बैरागी का मोबाइल नंबर मिला, जिसे संपर्क करने पर इन सभी के सकुशल होने एवं ट्रेन के माध्यम से 5 जनवरी की दोपहर तक विशाखापट्टनम पहुंचने का पता चला. साथ ही उसने यह भी बताया कि सभी मजदूर बहुत भूखे-प्यासे हैं, उनके पास खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं है

फोन-पे के माध्यम से मजदूरों तक पहुंचाया पैसा
इस बात का पता चलते ही पुलिस अधीक्षक दीपक झा के निर्देशन में प्रधान आरक्षक प्रेम निषाद द्वारा श्रमिक नारायण बैरागी से बात कर उनकी परेशानियों के बारे में जानकारी हासिल कर तत्काल फोन-पे के माध्यम से पैसा उन मजदूरों तक पहुंचाया गया। इन पैसों की मदद से विशाखापट्टनम पहुंचते ही सभी मजदूरों ने सर्वप्रथम पेट भर खाना खाया एवं अपने परिवार के लिए अन्य आवश्यक एवं जरूरी सामान खरीदे. इसके बाद विशाखापट्टनम से छत्तीसगढ़ आने के लिए भी व्यवस्था करना बहुत आवश्यक था, क्योंकि यहां जिले से किसी टीम के वहां तक जाने एवं फिर से उनको यहां तक लाने में समय एवं संसाधन दोनों व्यर्थ होता. जिसे देखते हुए पुलिस अधीक्षक दीपक झा ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश कुमार यादव को संबंधित विभागों से संपर्क स्थापित करने के लिए निर्देशित किया. हरीश कुमार यादव द्वारा तत्काल जिले के श्रम विभाग एवं जीआरपी रायपुर के अधिकारियों से संपर्क किया गया, जिसमें श्रम विभाग बलौदाबाजार के माध्यम से 5 जनवरी को लिंक एक्सप्रेस में इन सभी मजदूरों के लिए टिकट की व्यवस्था की गई. जिसके बाद यह सभी मजदूर ट्रेन में सवार होकर आज 6 जनवरी को सुबह 7 बजे रायपुर पहुंचे।

रायपुर पहुंचते ही जैसे मानो इन सभी मजदूरों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्हें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि 1000 से अधिक किलोमीटर की दूरी पर बसे गुंटुर आंध्र प्रदेश से यह लोग वापस अपने घर भी आ पाएंगे इस दौरान इन सभी मजदूरों के लिए पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार झा द्वारा पुलिस वाहन (एक बड़ी बस) की व्यवस्था रेलवे स्टेशन रायपुर में कर दी गई थी. ये अपने आप में एक अलग ही अनोखा मामला था।

जिसमें संबंधित संस्था या ज़िले से किसी संगठन या प्रशासन का कोई व्यक्ति स्वयं, इतने बड़े समूह के साथ मौजूद नहीं था, बल्कि उसी समूह का एक व्यक्ति जिसके पास संयोग से एक मोबाइल फ़ोन उपलब्ध था और उसमें बैंकिंग की सुविधा की जानकारी उस व्यक्ति को थी, जिसके कारण दूर से ही उसे आर्थिक और अन्य सहायता उपलब्ध कराना सरल हो पाया, एक तरह से यह रिमोट आपरेशन था।
गांव पहुंचते ही मजदूरों की आंखें हुई नम