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बहुचर्चित फिल्म दुल्हा राजा 26 जनवरी को छत्तीसगढ़ समेत 4 राज्यों में एक साथ प्रदर्शित पारिवारिक ताने बाने हर वर्ग को पसंद आ रहा है ….

अकलतरा से राकेश कुमार साहु

रायपुर । बहुचर्चित फिल्म दुल्हा राजा 26 जनवरी को छत्तीसगढ़ समेत 4 राज्यों में एक साथ प्रदर्शित की गई । फिल्म की ओपनिंग बेहद शानदार रही, दर्शकों ने फिल्म को जबरदस्त सराहा। फ़िल्म की खासियत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि फ़िल्म के कई दृश्य ऑंखें नम कर देने वाली है, खासतौर पर महिलाएं अपनी भावना नही रोक पातीं। कई दृश्यों में दर्शक मंत्र मुग्ध होते नजर आये, फिल्म की कहानी, निर्दर्शन बेहद सधी हुई है। दो घंटा बीस मिनट के इस फिल्म कैसे ख़तम हो जाती है पता ही नहीं चलता। एक लालची पिता अपने बहु और बेटी के साथ कैसा अलग-अलग व्यवहार करता है, यही इस फिल्म की मूल कहानी है। इस पर दुल्हा राजा यानि हीरो की एंट्री के बाद हास्य के साथ कहानी प्रस्तुत किये गए हैं वह कमाल बन पड़ी है, इसीलिए फिल्म की कहानी खूब गुदगुदाती है, लोग हंस-हंस कर लोटपोट हो जाते हैं, साथ ही कई ऐसे ममता भरे दृश्य उभर कर आते हैं कि आंखे डबडबाती जाती है।फिल्म में आठ कर्णप्रिय गाने है। गानों का फिल्मांकन बेहद खूबसूरत है। सुनील सोनी का म्यूजिक बेहद अपील कराती है और अंत में अप्पी राजा का रैप सांग सुनकर लोग जाते-जाते डांस करने लग जाते हैं। पूरी फिल्म में ड्रेस का चयन बेहद सलीके से किया गया है । निर्देशन कमाल का है । राज वर्मा फिल्म को बांधने में सफल रहे इसी वजह से 24 कैरट विशुद्ध पारिवारिक फिल्म बन पड़ी है। राज वर्मा ने इतनी बड़ी टीम के साथ बेहतरीन काम करवाया है। बड़े-बड़े कलाकारों को लेकर फिल्म बना पाना अपने आप में एक बड़ा संघर्ष रहता है। राज वर्मा ने कहानी को बेहतरीन ढंग से निर्देशित किया है। एक निर्देशक के तौर पर इंडस्ट्री में दोबारा अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे, वे एक अच्छे अभिनेता होने के साथ बेहद उम्दा डांसर भी हैं। उन्होंने साबित किया हैं,

सभी कलाकारों ने अपनी जगह बेहतरीन अभिनय किया है। मनमोहन सिंग ठाकुर की बारह साल बाद वापसी जमती है। दर्शको को वे खतरनाक लगे हैं। इसके अलावा प्रदीप शर्मा , उपासना वैष्णव, संजय महानंद , हेमलाल कौशल जैसे कलाकारों ने भी अपनी अदाकारी का छाप छोड़ते हैं। क्रांति और सोहैल एकदम नए रूप में नजर आये हैं, वहीँ फिल्म की अभिनेत्री बेहद खूबसूरत लगी है। दर्शक अक्सर शिकायत करते हैं की छत्तीसगढ़ी फिल्म में क्वालिटी नहीं होती, परिवार और संस्कृति के अनुकूल नही होती, उन्हें इस फ़िल्म में वो सब मिलेगा जो एक छत्तीसगढ़िया दर्शक को चाहिए, यह फ़िल्म इस वर्ष की सबसे बेहतरीन फिल्म साबित हो सकती है।

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