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गिनती के रह गए प्याऊ घर…..
गायब समाजसेवी, मौन है शहर सरकार
भाटापारा–पांच या छह लेकिन प्याऊ घर की जरुरत इससे कहीं ज्यादा की है ।यह तब,जब शहर में समाजसेवी संगठन और समाजसेवियों की संख्या अच्छी – खासी है।और हाँ, नगर सरकार भी तो है लेकिन उसने मौन साध रखा है । ऐसे में पानी का कारोबार दो गुना पार करने करीब पहुँच चुका है । पारा हर पल नया रूप लेकर आ रहा है । तेज धूप और लगती प्यास राह चलते समय प्याऊ ही बड़ा सहारा बनते हैं लेकिन शहर में अब इनका दिखाई देना हर साल कम हो रहा है ।अनुपात में पानी का कारोबार नया रिकॉर्ड बना रहा है । यही वजह है कि शहर और करीब के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी पैकिंग इकाईयां बढ़ रही है ।
पांच या छह
नियमित आवाजाही का केंद्र है रेलवे स्टेशन इसलिए यहाँ पर खुला प्याऊ घर 24 घंटे खुला रहता है ।सदर बाजार में जैन मंदिर के करीब और मंडी के पास भी ऐसे ही प्याऊ घर संचालन में हैं लेकिन जब – तब हो रही बिजली गुल ने प्याऊ घरों की प्यास बढ़ाई हुई है । शेष क्षेत्रों में जो हैं,तो वह भी कमोबेश ऐसी ही दिक्कत से रूबरू हो रहे हैं ।
किस काम के
समाजसेवी और समाजसेवी संगठन शहर में भी हैंं लेकिन गैर जरुरी है यह काम संकल्प और शपथ, समाज सेवा और पौध रोपण के साथ जल संरक्षण के लिए लेते हुए खूब नजर आते हैं लेकिन प्यास बुझाने जैसे जरुरी काम में इनकी भागीदारी सिरे से गायब है । नगर सरकार भी मौन रह कर इसमें समान रूप से सहयोग दे रही है जबकि जिम्मेदारी इसकी ही सबसे ज्यादा बनती है।
मौका इनके हाथ
नगर सरकार और समाजसेवी संगठनों के मौन के बाद भीषण गर्मी में पानी का कारोबार दो गुना हो चला है । कारोबारी सूत्रों के अनुसार यह पहला साल हैं, जब 25 से 35 हजार की संख्या में पानी पाउच रोज बिक रहे हैं, तो पानी बोतल की बिक्री 8 से 12 हजार की संख्या में बताई जा रही है । भरोसा है इसमें और भी ज्यादा बढ़ोतरी की।