यूनेस्को द्वारा रामचरित मानस को विश्व धरोहर घोषित करने पर सरयू साहित्य परिषद ने जताया हर्ष,…..
भाटापारा रामचरित मानस एक ऐसा काव्य ग्रन्थ जो महज एक साहित्यिक विधा नहीं अपितु भारत की आत्मा है,भारतीय संस्कृति के मूलाधार स्वरुप मे जिस आदर्श की व्याख्या है वह उच्चत्तर मानवीय मूल्यों को परिभाषित करती है तथा व्यक्ति परिवार समाज का क्या आचरण होना चाहिए तथा देश के राजा का क्या कर्तव्य एवं जीवन विधान होना चाहिए यह भगवान राम के जीवन चरित्र व्याख्या से स्पष्ट रुप से परिलक्षित होता है।
मानवीय मूल्यों के संरक्षण की दरकार
आज भोगवादी पूंजीवादी युग मे सर्वाधिक प्रभाव जिन मूल्यों पर पड़ रहा है वह है मानवीय मूल्य,तात्कालिक सुख सुविधा लाभ हानि के फेर मे मनुष्य आज जीवन मर्मों को भूलता जा रहा है,रिश्तों मे स्वार्थ की काली छाया मंडरा रही है,भौतिक सुख सुविधा के सामने मानवीय मूल्यों की बलि चढ़ती जा रही है,सारी दुनियां एक तरह से भावनात्मक शुष्कता के दौर से गुजर रही है,ऐसे मे आज सर्वाधिक आवश्यकता है मानवीय मूल्यों के संरक्षण एवं संवर्धन की,ऐसे विकट समय में रामचरित मानस जैसे ग्रन्थ मानवीय मूल्यों के संचार के अहम माध्यम साबित हो सकतें है।
दुनियां ने समझा मानस की महत्ता
परिवार मे बिखराव व्यक्ति समाज एवं दुनियां के देशों मे परस्पर टकराव की विपदादायी काल से गुजर रही दुनियां को शायद रामचरितमानस मे एक आस की किरण दिखाई दे रही है,शिक्षा संस्कृति समाज विज्ञान जैसे विधाओं मे कार्य करने वाली संस्था यूनेस्को द्वारा रामचरित मानस को विश्व धरोहर घोषित किया जाना यही संदेश प्रकट करता है कि संपूर्ण मानव जाति के लिए आज मानस की क्या महत्ता और क्या आवश्यकता है।
सरयू साहित्य परिषद ने जताया हर्ष
विभिन्न आयोजनों के माध्यम से समाज मे निरंतर रचनात्मकता का संदेश प्रसारित करने वाली सेवा सम्मान एवं सौहार्द के सूक्ति वाक्य से संचालित सरयू साहित्य परिषद द्वारा घर घर राम के जीवन चरित एवं मानस के मर्मों को जन जन तक पंहुचाने के लिए विगत पांच वर्षों से रामायण ज्ञान परीक्षा प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है,सबके राम सबमें राम की अवधारणा से संचालित होने वाले इस आयोजन का प्रतिफल भी दिख रहा है एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा भी इस प्रकार के आयोजन की रुपरेखा बनानी प्रारंभ कर दी गयी है,इसी के तहत सरयू साहित्य परिषद का मानना है कि एक आयोजन मात्र से प्रेरणा के विविध स्वरुप का दर्शन होना प्रारंभ हो गया है तो यूनेस्को द्वारा रामचरित मानस को विश्व धरोहर घोषित किया जाना निःसंदेह संपूर्ण मानव जाति के लिए एक व्यापक प्रेरणा का कार्य करेगी,तथा ग्रन्थ की महत्ता एवं मर्म से दुनियां परिचित ही नहीं वरन लाभांवित भी होगी,रामचरित मानस को विश्व धरोहर घोषित किये जाने पर परिषद के प्रमुख पदाधिकारियों एवं सदस्यो जिनमें गौरीशंकर शर्मा,पं दुर्गा प्रसाद तिवारी,मुकेश शर्मा,अजय तिवारी,प्रकाश तिवारी,हरिहर शर्मा,सत्यनारायण शर्मा,जितेन्द्र गौरहा,दिनेश शर्मा,कविता शर्मा,सरितारानी शर्मा,निशा आनंद शर्मा आदि द्वारा हर्ष जाहिर करते हुए बधाई दी गयी है।