भाटापारा

बेटी-पढ़ाओ बेटी बचाओ की अनदेखी करता भाटापारा का पंचम दीवान कन्या विद्यालय…..

भाटापारा :-जहां एक ओर भारत सरकार “बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ”का नारा देती है। वही हमारी सरकार बेटियों के लिए न ही उचित शिक्षा की व्यवस्था करती है, और न ही उनकी सुरक्षा के प्रति सचेत रहती है। इन सब का उदाहरण समूचे छत्तीसगढ़ के साथ-साथ भारत के हर प्रांतों में देखने, सुनने व पढ़ने को मिलता है।
हम यहां उनके खान-पान एवं अन्य सुविधाओं के प्रति बात करना नहीं चाहते है। क्योंकि संपूर्णता भारत वर्ष में यह शिकायत आम है। इन सब पर इनके संचालकों को ध्यान देना चाहिये। परंतु वे सिर्फ अपनी जेब भरने में मशगूल दिखते है। वही शासक-वर्ग की भी इनको मौन स्वीकृति प्राप्त दिखाई देती है। यदि शासन इन सब का निरीक्षण करवायें तो वहां भारी अनियमितताएं नज़र आएगी। शासन के करिंदे इन सब पर आंखें मूंद कर सिर्फ अपनी जेबें भरते नजर आते है।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित भाटापारा के पंचम दीवान शासकीय कन्या विद्यालय जो पटपर रोड के किनारे स्थित है, यहां लगभग 700 छात्राएं अध्यनरत है। जहां शासन के निर्देशानुसार 20 शिक्षक होना चाहिए। परंतु वहां मात्र 11 शिक्षक नियुक्त है। सन 1983 में स्कूल आरंभ हुआ। तब से इतने ही शिक्षकों को नियुक्त आज तक है। जबकि छात्राओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो चुकी है। वही जहां चार चपरासियों की ज़रूरत है वहां सिर्फ आरंभ से अब तक एक ही चपरासी नियुक्त है। इनकी संख्या भी बढ़ाने की मांग मांग छात्राओं के पालकों द्वारा की गई है। जिससे यहां की छात्राओं को पर्याप्त शैक्षणिक सुविधा अप्राप्त है। इसका जिम्मेदार कौन है ? यहां की अवस्थाओं की ओर छत्तीसगढ़ शासन को ध्यान देना चाहिये।

गौरतलब है कि में शासकीय शालाओं की घोर अव्यवस्थाओं के कारण समूचे देश के साथ-साथ हमारे छत्तीसगढ़ में ढेरों निजी स्कूल संचालित होने लग गये है। जिसकी जांच कोई भी सक्षम अधिकारी नहीं करता। वही मनमानी फीस के अलावा अन्य सुविधाओं की छात्र-छात्राओं की व्यवस्था नागण्य दिखती है। इन निजी स्कूलों के संरक्षक की राजनीतिक पहुंच के कारण इन पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती। परिणाम स्वरुप इन स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के साथ उनके पालक भी उनके आदेश-निर्देशों के आगे नात-मस्तक होकर खड़े दिखते है। इन तथाकथित विद्यालओं के लिए शासन द्वारा अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था की जाती है। इन शिक्षकों को कम से कम मानदेय देकर उनसे शैक्षणिक कार्य लिया जाता है। इन्हें कभी भी बिना पूर्व सूचना के नौकरी से बाहर कर दिया जाता है। इसके बाद वे उम्र की समय-सीमा पार हो जाने के कारण बेरोजगार की श्रेणी में आकर खड़े होते है। इसके कारण उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
आज आप देखिए जहां 20-25 या 100-200 पदों की नियुक्तियों के लिये विज्ञापन प्रकाशित होता है। वहां लाखों की संख्या में शिक्षित व उच्च शिक्षित बेरोजगार युवक व युवतियों का जमावड़ा हो जाता है। जिनकी सुरक्षा के लिये स्थानीय शासन व प्रशासन मुक-दर्शक दिखायी देता है। इसका जिम्मेदार कौन है ? शासन प्रशासन को इस तथ्यों पर भी ध्यान देना चाहिये।

बहरहाल, हम बात करें भाटापारा के शासकीय पंचम दीवान कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला कि यहां पर भाटापारा शहर के अलावा आस-पास क्षेत्र के बहुत से गांवों की छात्राएं (जिनमें निर्धन छात्राओं की संख्या बहुतायत है) अध्ययन के लिए आती है। इस शाला में लगभग 16 कमरे है। जिसमें कक्षा 9 वी की 160 बच्चियों अध्ययनरत है। जिनके लिए दो कमरों की व्यवस्था है, वही दसवीं कक्षा में 181 बच्चे है। जो तीन कमरों में शिक्षा प्राप्त करते है। इसी तरह कक्षा ग्यारहवीं के लिये तीन कक्षाओं की व्यवस्था है, जहां 172 बच्चे पढ़ते है। वही कक्षा 12वीं के लिये तीन रूम उपलब्ध है, जहां 152 बच्चे पढ़ते है।
शासन-प्रशासन कि इस अवस्थाओं की पोल वहां जाकर खुलती है, जहां कौशल एवं उद्यमिता विकास संस्था अंबुजा फाउंडेशन को प्रशिक्षण के नाम पर इस स्कूल के अंदर कई कमरे आवंटित कर दिये गये है।
हालांकि इस संस्था के माध्यम से पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता प्राप्त कर चंद बेरोजगार छात्र-छात्राओं को रोजगार प्राप्त करने के अवसर प्राप्त होते है। परंतु यह अध्ययनरत छात्राओं के लिए यह व्यवस्था या अव्यवस्था भारी पड़ रही है।

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