कोरबा

*रोजगार और पुनर्वास की मांग : भूविस्थापितों का धरना बदला अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में*

ब्यूरो रिपोरी शिखर एक्सप्रेस न्यूज़

छत्तीसगढ़–कोरबा। रोजगार और पुनर्वास से जुड़ी समस्याओं पर जिला प्रशासन और एसईसीएल के आश्वासन से थके भूविस्थापितों ने किसान सभा के नेतृत्व में आज से एसईसीएल के कुसमुंडा मुख्यालय के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दिया है। इसी स्थान पर वे पिछले एक साल से धरना दे रहे थे और इस दौरान उन्होंने 5-6 बार खदान बंदी और रेल से कोयला परिवहन को ठप्प किया है। भूविस्थापितों के इस आंदोलन के कारण अब तक एसईसीएल को सैकड़ों करोड़ रुपयों का नुकसान उठाना पड़ा है।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित प्रकरणों में रोजगार और मुआवजा देने, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को खदान में काम देने, महिलाओं को स्वरोजगार में लगाने और पुनर्वास गांव में बसे भूविस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि मांगों को लेकर पिछले दो सालों से लगातार आंदोलन किया जा रहा है। इस आंदोलन के दबाव में एसईसीएल ने समस्याओं को हल करने के लिए वादे भी किए, लेकिन आज तक उस पर अमल नहीं किया। इससे खनन प्रभावित ग्रामीण भड़के हुए हैं और आज से उन्होंने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दिया है।

आज भूख हड़ताल में 6 लोग – किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा, भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव, सचिव दामोदर श्याम, दीनानाथ, रघु यादव, सुमेंद्र सिंह ठकराल बैठे। उनके समर्थन में सैकड़ों भूविस्थापित ग्रामीण भी आंदोलन में शामिल हुए। किसान सभा के नेता प्रशांत झा ने आरोप लगाया है कि ग्रामीणों की बर्बादी और किसानों की लाशों पर जिला प्रशासन के सहयोग से इस क्षेत्र में एसईसीएल अपने मुनाफे के महल खड़े कर रहा है। उन्होंने कहा कि जमीन का अधिग्रहण करने के बाद भूविस्थापितों के जीवन को अंधकारमय बनाने वाली नीतियों एवं एसईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन द्वारा भू विस्थापितों की समस्याओं का निराकरण नहीं करने के खिलाफ वे सब अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में बैठने के लिए मजबूर हुए हैं।

भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव और सचिव दामोदर ने कहा कि एसईसीएल रोजगार देने के अपने वायदे पर अमल नहीं कर रहा है और जिला प्रशासन के कार्यालयों में सत्यापन और अन्य दस्तावेज तैयार कराने के लिए वे महीनों से चक्कर काट रहे है। अब भूविस्थापित रोजगार मिलने तक पीछे हटने वाले नहीं है तथा संघर्ष और तेज करने की रणनीति तैयार की जा रही है।

किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर कटघोरा ब्लॉक के अध्यक्ष जय कौशिक ने कहा कि जमीन का अधिग्रहण जिस समय किया गया था, उस समय जो पॉलिसी थी, उस पॉलिसी के तहत ही किसान जमीन के बदले रोजगार की मांग कर रहे हैं। किसानों के पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। एसईसीएल प्रबंधन और सरकार सभी भूविस्थापित परिवारों के एक-एक सदस्य को रोजगार देने की प्रक्रिया जल्द शुरू करे।

आंदोलन में अनशनकारियों के साथ सनत, हरिशंकर केवर्त, मुनिराम कौशिक, कलीराम, हरिहर पटेल, होरी, डुमन, मिलन, जितेंद्र, राधेश्याम, नारायण यादव,मंगल, कृष्णा, नारायण कश्यप, आनंद, विनोद, गणेश, बृजमोहन, नारायण, राधा बाई, सूरज बाई, प्यारे दिवाकर, अनिल, पंकज, गिरधारी आदि की अगुवाई में बड़ी संख्या में भू विस्थापित भी शामिल थे।

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