खरसिया

*विशेष खबर:- बेशकीमती सागौन पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में निरीक्षण के दौरान तस्करों ने वन विभाग के कर्मचारियों को गाली गलौज कर मौके से खदेड़ा…!!*

जिला ब्युरो चीफ राजू यादव शिखर एक्सप्रेस न्यूज

खरसिया वन परिक्षेत्र के डोमनारा जंगल का है मामला…*

*स्थानीय लोगों ने विभागीय नुमाइंदों की सरपरस्ती में सागौन पेड़ों की अवैध तस्करी करने का लगाया आरोप……

रायगढ़:- खरसिया कुछ दिन पहले ही डोमनारा में कीमती लकड़ी के अवैध कटाई और चोरी के मामले सामने आए। सागौन की बेशकीमती लकड़ियों को चोरी के मामले में कई कांग्रेसी नेता शामिल हैं होने की आशंका जताई जा रही है। लकड़ी चोर के द्वारा बेधड़क गुंडागर्दी करते हुए चोरी के काम को अंजाम दे रहे हैं। ग्राम मकरी में एक सूने मकान में रखा गया था सैगोन की कीमती लकड़ी वन विभाग द्वारा रात में पहरेदारी कर रहे थे तभी कांग्रेसी नेता अपने दल के साथ महिला समूह एवं ग्राम के लोगों को लेकर पहुंचे और वन विभाग कर्मचारी कुछ नहीं कर पाए और वहां से निकल गए ना कुछ करवाई किया गया ना कुछ लिखा पढ़ी किया गया, ना कुछ करवाई होना ना और खाली देख कर आ जाना वन विभाग के चरित्र पर प्रश्न चिह्न लगा रहे हैं।
आपको बता दें कि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घाघरा में भी बड़ी मात्रा में कीमती लकड़ी रखा गया गया है इस काम में और कई बड़े दिग्गज कांग्रेसी नेता शामिल है। वन विभाग ने चोरों से मिलकर इस मामले को रफा-दफा कर दिया गया है इस मामले में कांग्रेसी नेताओं के शामिल होने की आशंका है।

*वन विभाग के अधिकारी व मंत्री भी है शामिल?…*
पहली दफा वन विभाग के कर्मचारियों व मंत्री भी इस मामले में संलिप्त है जब लकड़ी तस्कर मामले में अधिकारियों से शिकायत की गई तो उनके द्वारा वापस आया गया लेकिन खानापूर्ति कर वापस चला गया लेकिन अधिकारी से दोबारा फिर बात किया गया तो अधिकारी मकरी गया फिर मामला को रफा-दफा करने के लिए मोटी रकम का खेल चला और कागजी कार्रवाई कर कुछ नहीं मिला बोलकर मामला को रफा-दफा कर दिया गया। जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण भी उपस्थित थे जिससे लकड़ी को इधर से उधर कर रहे थे इस लकड़ी चोर नेता के सामने पूरे ग्रामीण भी नतमस्तक हैं यह नेता कई बड़े गैंगो से भी संपर्क में हैं और मंत्री जी के संपर्कों से जुड़ा हुआ है जिससे वन विभाग करवाई करने में हाथ काप गए तथा मामले को रफा-दफा कर दिया। इस खबर के बाद यह देखना होगा कि अब अधिकारी इस मामले को कहां तक ले जाते हैं।

*वन पर्यवेक्षक स्थानीय होने के कारण से वन कटाई को मिल रहा है संरक्षण??..*

खरसिया विधानसभा के जितने भी वन पर्यवेक्षक हैं जैसे बरगढ़, खम्हार, कुनकुनी, बोतल्दा सहित अन्य कई पर्यवेक्षक के कर्मचारी समय में अपने कार्यालय में उपस्थित नहीं रहते हैं। जब भी जाते हैं कार्यालय में अनुपस्थित मिलते हैं और अपने घर में आराम फरमा कर मोबाइल से काम चला लेते हैं बल्कि स्थानीय होने के कारण ये सब हो रहा है। कीमती लकड़ी की अंधाधुंध सफाई के कारण इन सभी पर्यवेक्षकों को मोटी रकम भी मिलती है मोटी रकम के चक्कर में जंगल हो रहे खत्म। आगामी 10 सालों में हो जाएगी जंगल की सफाई जिससे आने वाले समय में खरीदेंगे ऑक्सीजन, स्वास्थ्य और इंसानों की हो जाएगी उम्र कम तब पता चलेगा जंगल का क्या महत्व है।

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