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ग्रामीण बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने मलका कंपनी की अनुकरणीय पहल”…….
ब्यूरो रिपोर्ट रायगढ़
मरहूम शायर निदा फ़ाज़ली का मशहूर शेर है, “अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाये, घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए। घर से मंदिर,मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।”जी हां बच्चे दुनिया के नायाब तोहफे हैं, जो मुश्किल से मुश्किल वक्त में आपके चेहरे पर मुस्कान ला सकते हैं। वहीं उनके चेहरे पर छोटा सा दुख भी आपके मन में दर्द जगा सकता है।कुछ इसी अंदाज में धरमजयगढ़ स्थित मलका कंपनी के द्वारा इस शेर को चरितार्थ होते इन दिनों देखा गया जिसके बाद कंपनी के महाप्रबंधक ने बच्चो के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए एक विशेष पहल चलाने का निर्णय लिया है।खैर घटना बीते दिन की है जब धरमजयगढ़ स्थित मलका कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर विवेक सिंह अपने एरिया के लिए जा रहे थे तो उनकी नजर कुछ स्कूली बच्चों पर पड़ी जो स्कूल के लिए जा रहे थे जिसमे से एक बच्चा स्कूली बैग की जगह एक झोला में किताब कापी लेकर चल रहा था इसे देखकर कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर विवेक सिंह की मानवता जागी और उन्होंने उस बच्चे को तत्काल स्कूली बैग उपलब्ध कराया जिसके बाद बच्चे के चहरे पर मुस्कान आ गई।इस घटना के बाद जब इसकी जानकारी मलका कंपनी के महाप्रबंधक रोहित श्रीवास्तव को दी गई तो उन्होंने इससे प्रेरणा लेते हुए वहां आसपास पढ़ाई करने वाले सभी बच्चो को स्कूली बैग वितरण करने का निर्णय ले लिया हालाकि इस कार्यक्रम की तैयारिया अभी की जा रही है जिसे जल्द ही पूरा किया जाएगा।
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