
भगवान भरोसे सरकारी रेस्ट हाउस, बिना अनुमति प्रवेश और रुकने की सुविधा, आगंतुक पंजी में नहीं मिलती जानकारी
भाटापारा- कौन देखता है, रेस्ट हाउस की व्यवस्था? यह इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि कभी भी, किसी भी समय, कोई भी यहां रुक कर विश्राम कर सकता है। हैरत यह कि तैनात कर्मचारी, नियमित आवाजाही की पुष्टि कर रहे हैं लेकिन आगंतुक पंजी के पन्ने खाली हैं।
अपने शहर में भी है शासकीय विश्राम गृह। लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व वाले इस रेस्ट हाउस में रुकने के लिए विधिवत नियम बने हुए हैं। देखरेख के लिए जिम्मेदार अधिकारी की तैनाती भी की गई है लेकिन नियमित आवाजाही का हिसाब-किताब जिस आगंतुक पंजी में होना चाहिए उसका खाली होना कई तरह के संदेह को जन्म देता है। एक बात तो स्पष्ट है कि ना नियंत्रण है ना नियमित जांच-पड़ताल होती।
इसलिए सवाल
मुख्य मार्ग पर स्थित। रेलवे स्टेशन के करीब। महत्वपूर्ण व्यक्तियों की नियमित आवाजाही और अधिकारियों के आए दिन होते दौरे। इस लिहाज से बेहद संवेदनशील है, यह रेस्ट हाउस। आवाजाही पर नजर रखने के लिए आगंतुक पंजी भी है लेकिन खाली पन्ने गवाही देते हैं कि बेहद गंभीर इस काम से दूरी बना ली गई है। जबकि नजर रखना, बेहद अहम है।
लापरवाही ऐसी
सुपर विजन की जिम्मेदारी लोक निर्माण अनुभाग ने एक उपयंत्री को दी हुई है। इसे लेकर स्पष्ट जवाब नहीं मिलते। चौकीदार की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। इसलिए सड़क निर्माण या मरम्मत के लिए आने वाले मजदूरों में से ही किसी एक को इस काम में लगाया जाता है। सहज ही जाना जा सकता है कि लापरवाही किस हद तक है ?
जानिए रेस्ट हाउस को
पुराने और नए भवन के कमरे को मिलाकर कुल 7 कमरे हैं। इसमें से 6 कमरे एयर कंडीशन्ड है। शेष एक नॉन एसी है। अगले बरस होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस रेस्ट हाऊस को अतिरिक्त सुविधाओं से लैस करने की योजना है ताकि चुनाव के दौरान अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को सुविधा मिल सके।