सट्टा, शराब और कबाड़, यह भाटापारा है…
प्वांइटर- मिलता है सिस्टम का खूब साथ
भाटापारा- रोज सामने आ रहे हैं क्रिकेट सट्टा के मामले। नियमित जांच में अवैध शराब भी जब्त की जा रही है लेकिन सरगना अभी भी पकड़ से बाहर हैं या छोड़े जा रहे हैं। सवाल नहीं होते क्योंकि जवाब मालूम है।
अवैध कारोबार के लिए पहले से ही ‘ख्यात’ अपना शहर, अब जुगलबंदी के लिए भी पहचान बना रहा है। सरकार किसी भी पार्टी की हो, यह शहर आसानी से मेल-मिलाप करने में सक्षम है। यही वजह है कि दूर-दूर से पेशेवर लोग आते हैं यह इसलिए क्योंकि जुगत भिड़ाने में हम माहिर हैं।
रहेंगे हमेशा आगे
‘व्यवस्था’ का पूरा साथ मिलता है अवैध शराब के कारोबार को। दहशत या भय बना रहे इसलिए छोटी कार्रवाईयां जरूरी है। यह हम देख भी रहे हैं लेकिन नहीं दिखाई देंगे वे चेहरे, जो इस कारोबार के सूत्रधार हैं। प्रतीक्षा मत कीजिए, इस चेहरे को देखने की, क्योंकि संरक्षण मिला हुआ है।
हम हैं अव्वल
क्रिकेट सट्टा या कहें कबाड़ का काम। हम से आगे कोई नहीं निकल सकता क्योंकि सिस्टम मजबूती से हमारे साथ है। आगे भी रहेगा, ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि जिम्मेदार कैसे भी हों, उन्हें साधना हम बखूबी जानते हैं। इसलिए यह काम भी फल-फूल रहा है।
दबे जुंबा चर्चा इसकी भी
दबे जुंबा लोगों में चर्चा है कि सट्टा खिलाने वाले, चौक चौराहों एवं गली मोहल्ले में अवैध शराब बेचने वाले तथा इसी तरह के अनैतिक कार्यों को छूट के बदले महीने का शुल्क निर्धारित किया गया है, जितना बड़ा आसामी उसका बड़ा शुल्क। उगाही के लिए बाकायदा स्टाफ नियुक्त किया गया है
सुरक्षित ठिकाने में यह भी
देह व्यापार। कभी सुनाई नहीं देगी कार्रवाई की बातें। क्योंकि जैसी सुरक्षा के बीच सुरक्षित ठिकाने इसके लिए बने हुए हैं, उसकी जानकारी सीमित लोगों तक ही है। जब सुरक्षा इतनी है तो ली जाने वाली राशि का अंदाजा लगाना थोड़ा कठिन ही होगा क्योंकि यह ‘समय’ के हिसाब से तय होती है।
वर्जन
अरुण साहू
थाना प्रभारी भाटापारा
” ये सब कोरी अफवाह है किसी तरह की कोई कोताही नही बरती जा रही, और दोषियों पर कार्यवाही की जा रही है “