भाटापारा

भययुक्त शहर कहिए जनाब…’

प्वाइंटर- संरक्षण से बढ़ रहा असामाजिक तत्वों का हौसला

भाटापारा- तारीख थी 9 मई 2023। समय था रात 10 बजे के करीब। मौका-वाटर फिल्टर प्लांट। शहर की ओर जाती कार को रोका जाता है। दरवाजा खुलते ही जिस अंदाज में चाकू लहराते युवक झपटते हैं, उससे आवाजाही झटके में धीमी हो जाती है। सीसीटीवी कैमरे में कैद है, यह घटना लेकिन आजाद हैं वह आरोपी, जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया।

खूब दावा किया था, अपराध मुक्त शहर बनाने का। अब, जब हर रोज इस दावे की पोल खुल रही है तब भी चेहरे पर शिकन तक नहीं है। सवाल नहीं उठाए जाते क्योंकि सारा शहर जान गया है कि जवाब नहीं मिलेंगे। इसलिए भी नहीं मिलेंगे क्योंकि ‘साथ’ आरोपियों को ही मिल रहा है। तेजी से बिगड़ते माहौल को लेकर आला अधिकारियों का मौन कई सवाल खड़े कर रहा है।

शांत नहीं, अशांत शहर

जिले का अहम शहर है भाटापारा। इसलिए मैदानी अमला की तैनाती में ऐसे अधिकारियों को जिम्मेदारी मिलती थी, जो अहमियत और शांति बनाए रखने का काम प्राथमिकता के साथ करते थे लेकिन ताजा बदलाव के बाद जैसी स्थितियां बन रही हैं, उससे एक ही बात जाहिर हो रही है कि सिस्टम का साथ नागरिकों की बजाय अपराधियों को मिल रहा है। यही वजह है कि अशांत शहर की सूची में अपना नाम दर्ज करवाने की राह पर है, अपना भाटापारा।

इसलिए उठ रहे सवाल

कई अनसुलझे मामले हैं। ताजा मामला इन सबसे अलग इसलिए है क्योंकि शिकायत के बाद चाकूबाजी करके आतंक फैलाने वाले सभी आरोपी सामने थे। होनी थी प्रतिबंधात्मक धाराओं में कार्रवाई लेकिन दूसरी सुबह से लेकर आज तक खुले में घूम रहे हैं सभी आरोपी। सीसीटीवी कैमरे में कैद है यह घटना लेकिन कार्रवाई को लेकर बरती जा रही सुस्ती कई सवाल उठाती है।


अब भययुक्त शहर

बढ़-चढ़कर दावे किए गए थे, अपराध मुक्त शहर बनाने का। कहा था कि भयमुक्त माहौल देंगे शहर के नागरिकों को। दावा के उलट काम हो रहा है। यह इसलिए क्योंकि लगभग हर घटना के समय या पहले या हर मिनट बाद पेट्रोलिंग वाहन गुजर रही है लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती, इसलिए शहर भययुक्त माहौल में किसी तरह सांस ले रहा है।

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