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दहेज पर लगाम लगाने के लिए शासन स्तर से सख्ती शुरू हो गई है। सरकारी सेवा में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी अपनी शादी में अब दहेज नहीं ले सकेंगे

राकेश कुमार साहू

जांजगीर चांपा दहेज पर लगाम लगाने के लिए शासन स्तर से सख्ती शुरू हो गई है। सरकारी सेवा में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी अपनी शादी में अब दहेज नहीं ले सकेंगे। उन्हें शादी के समय का जिक्र करते हुए अपने नियुक्ति अधिकारी को यह शपथ पत्र देना होगा कि उन्होंने अपनी शादी में किसी तरह का दहेज नहीं लिया है।
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जिले के सबसे बड़े सरकारी सेवा वर्ग से जुड़े शिक्षकों ने इस व्यवस्था का स्वागत करते हुए कहा कि वे दहेज नहीं लेंगे और विद्यार्थियों व अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेंगे। सरकारी अधिकारियों- कर्मचारियों को अपनी शादी में दहेज लेने से रोक लगाने के लिए शासन स्तर से पहल शुरू हो गई है। शासन उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली 2004 का पालन सख्ती से कराने के लिए सक्रिय हो गया है।
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महिला कल्याण विभाग की निदेशक संदीप कौर ने सभी विभागाध्यक्षों को दिशा निर्देश जारी किया है कि सरकारी सेवकों से इसका शपथ पत्र लिया जाए। इसके लिए निर्धारित फॉर्मेट में एक शपथ पत्र भरकर देना होगा, जिसमें स्पष्ट करना होगा कि उसने शादी के समय या बाद में दहेज नहीं लिया है।
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दहेज नहीं, पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए
जिले में सरकारी सेवा के सबसे बड़े वर्ग से जुड़े शिक्षकों ने इस निर्देश का स्वागत करते हुए कहा कि हमें दहेज नहीं, पढ़ी-लिखी लड़की को प्राथमिकता देनी चाहिए। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सकलदेव सिंह ने कहा कि शासन के इस आदेश का पालन हर शिक्षक करेगा और विद्यार्थियों व अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगा। शैक्षिक महासंघ के कार्यकारी जिलाध्यक्ष ज्योतिप्रकाश ने कहा कि समाज के लिए अभिशाप दहेज के कारण कई मासूम लड़कियों ने आत्महत्या कर ली।
जिस तरह से शपथ पत्र कार्ड मांग किया जा रहा है अगर शपथ पत्र झूठा साबित होता है तो उस कंडीशन में क्या दोनों पक्ष इस चीज के लिए जिम्मेदार रहेंगे क्या।
इस तरह से शपथ पत्र अगर बनवा जाती है तो केवल एक ही नौकरी वाले को बाध्यता नहीं किया जा सकता बड़े-बड़े पूंजीपति व्यवसायिक नेता अभिनेता अधिकारी कर्मचारी एवं समस्त सभी वर्गों के लिए अनिवार्यता किया जाना उचित है इस तरह की न्यायालय में झूठआ दहेज प्रथा का प्रकरण विचाराधीन रहता है जिसमें वर वधु पक्ष को पूरी जिंदगी भर न्यायालय की चक्कर काटने पड़ते हैं फैसला होता नहीं है फैसला होता है तो मर जाने के बाद में।

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